Patriotic Poems in Hindi :-
जब सूरज संग हो जाए अंधियार के, तब दीये का टिमटिमाना जरूरी है,जब प्यार की बोली लगने लगे बाजार में, तब प्रेमी का प्रेम को बचाना जरूरी है,
जब देश को खतरा हो गद्दारों से, तो गद्दारों को धरती से मिटाना जरूरी है,
जब गुमराह हो रहा हो युवा देश का, तो उसे सही राह दिखाना जरूरी है,
जब हर ओर फैल गई हो निराशा देश में, तो क्रांति का बिगुल बजाना जरूरी है,
जब नारी खुद को असहाय पाए, तो उसे लक्ष्मीबाई बनाना जरूरी है,
जब नेताओं के हाथ में सुरक्षित न रहे देश, तो फिर सुभाष का आना जरूरी है,
जब सीधे तरीकों से देश न बदले, तब विद्रोह जरूरी है,
( @ अभिषेक मिश्र) Patriotic Poems in Hindi
Desh bhakti kavita in hindi / Poem on desh bhakti in hindi :-
अपने धर्म, देश, भाषा की, जो इज़्ज़त करते हैं,धर्म, देश और भाषा प्रेमी, सब उनको कहते हैं।
हिंदू, हिंदी, हिंदोस्तान, ये पहचान हैं मेरी,
तीनों ही मुझमें रहते हैं, तीनों जान हैं मेरी,
जहाँ भी रहता हूँ ये मेरे, साथ-साथ रहते हैं।
अपनी सभ्यता, संस्कृति से, मैंने वो पाया है,
इस धरती से, उस अंबर तक, जो सबसे प्यारा है,
जिसको पाने की कोशिश में, सारे ही मरते हैं।
भारत कह लो, इंडिया कह लो, या फिर हिंदोस्तान,
मेरी आँखें उसी तरफ़ हैं, उसी तरफ़ है ध्यान,
तन से रूह, उसके गुण गाते, उसमें ही बसते हैं।
( अशोक कुमार वशिष्ठ )
Desh bhakti kavita in hindi / Poem on desh bhakti in hindi
न जाने कहाँ-कहाँ से पैसे इन लोगों ने ऐंठे हैं,
बेंच दिया भारत मेरा, अब सन्यासी का रूप लिया,
धन काला वापस लाओ, अब झूठे मुह से ये कहते है,
जब सोने की चिड़िया थी तब, मुगलों ने बैर दिखाया था,
बचे -खुचे धन को लेने, फिर हिटलर भारत आया था,
कैसे-कैसे जतन किये, तब तो पाई आजादी थी,
आजाद, भगत जैसे वीरों ने अपनी जान गवाई थी,
फिर से वो वक़्त लौट आया अब कैसे देश बचायेंगे,
ये हिटलर के ही वंशज है, इंग्लिश झंडा फहराएंगे,
अभी समझ न पाए तुम तो, देर बहुत हो जाएगी,
लक्ष्मीबाई सरीखी नारी, क्रांति अलख जगाएगी,
तुम खुद से भी आँख मिलाने काबिल न रह पाओगे,
जैसे दुनिया में आये थे, वैसे दुनिया से जाओगे !!
Desh bhakti poem / Desh bhakti poem in hindi :-
देश लूटने की खातिर पग-पग पर दुश्मन बैठे हैं,न जाने कहाँ-कहाँ से पैसे इन लोगों ने ऐंठे हैं,
बेंच दिया भारत मेरा, अब सन्यासी का रूप लिया,
धन काला वापस लाओ, अब झूठे मुह से ये कहते है,
जब सोने की चिड़िया थी तब, मुगलों ने बैर दिखाया था,
बचे -खुचे धन को लेने, फिर हिटलर भारत आया था,
कैसे-कैसे जतन किये, तब तो पाई आजादी थी,
आजाद, भगत जैसे वीरों ने अपनी जान गवाई थी,
फिर से वो वक़्त लौट आया अब कैसे देश बचायेंगे,
ये हिटलर के ही वंशज है, इंग्लिश झंडा फहराएंगे,
अभी समझ न पाए तुम तो, देर बहुत हो जाएगी,
लक्ष्मीबाई सरीखी नारी, क्रांति अलख जगाएगी,
तुम खुद से भी आँख मिलाने काबिल न रह पाओगे,
जैसे दुनिया में आये थे, वैसे दुनिया से जाओगे !!
Desh bhakti poem / Desh bhakti poem in hindi
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